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Gullak 4 Review TVF Again won heart with excellent story Vaibhav Raj Gupta Geetanjali Kulkarni Jameel Khan Harsh Mayar web series review

Gullak 4 Review: कुछ शोज हमारे लिए सिर्फ शो नहीं रह गए हैं, जिंदगी का हिस्सा बन गए हैं. ऐसा पहले टीवी सीरियल्स के साथ हुआ करता था कि पार्वती अब क्या करेगी, तुलसी की जिंदगी में अब कौनसा नया भूचाल आएगा. TVF एक तरह से उसी दौर को वापस ले आया है, पहले पंचायत 3 और अब गुल्लक 4, सचिव जी और रिंकी की लव स्टोरी कितनी आगे बढ़ेगी, विधायक जी क्या नया प्रंपच करेंगे, मिश्रा परिवार में अब क्या नया बवाल होगा, बिट्टू की मम्मी अब किस बात पर हल्ला करेंगी. रिश्तों की प्यारी सी गुल्लक को टीवीएफ ने चौथी बार खोला है, राइटर भी नए हैं और डायरेक्टर भी लेकिन फील बिल्कुल वही, दिल से बनी ये कहानी दिल में उतर जाती है, इस सीरीज के सिर्फ 5 एपिसोड है, सिर्फ 5, अरे भाई अच्छी चीजें जरा ज्यादा चाहिए होती हैं, 5 और बनाने चाहिए थे, ऐसा ही लगता है देखकर. 

कहानी
ये कहानी जिंदगी की तरह आगे बढ़ती है. धीरे धीरे, कोई जल्दी नहीं लेकिन कई अहम चीजों को बताती हुई, समझाती हुई, आपसे धीरे से कुछ कहती हुई. मिश्रा जी के घर पर संकट आ गया है लेकिन वो सरकारी अफसर को रिश्वत देने को तैयार नहीं.  शांति मिश्रा यानि मम्मी जी घर को तमाम मुश्किलों के बाद भी मजबूती से संभाले हुई हैं. अन्नू का बॉस उसे परेशान कर रहा है लेकिन अब इंजीनियर तो बन नहीं पाए तो MR की नौकरी तो करनी होगी.  अमन को उपन्यासकार बनना है लेकिन मिश्रा जी का छोटा बेटा जवान भी तो हो रहा है और जवानी में तो ध्यान सबका भटकता है. अरे लड़कियों की तरफ, वो बात अलग है कि अन्नू के साथ ऐसा नहीं हुआ लेकिन अब दोनों बेटे एक जैसे हों ये भी तो जरूरी नहीं ना. इस बार कहानी अमन की एडल्टिंग पर है यानि मिश्रा परिवार का छोटा बेटा जवान हो रहा है, ऐसे में गलतियां होंगी, और होंगी तो मम्मी पापा कैसे संभालेंगे. बाकी पहली बार मिश्रा जी छोटे बेटे को झन्नाटेदार चांटा ट्रेलर में ही लगा चुके हैं, और हां बिट्टू की मम्मी भी अपनी कड़ी नजर रखी हुई हैं. एक दम सीसीटीवी की तरह, तो इस बार कहानी फिर जिंदगी के कुछ जरूरी सबक देकर जाएगी.

कैसी है सीरीज
ये सीरीज बिल्कुल कलकल बहती नदी जैसी है, जो अपनी रफ्तार से आगे बढ़ती है, और ये रफ्तार बिल्कुल सही है. आप जल्दी में हो सकते हैं, लेकिन ये आपकी रफ्तार को रोक देगी और कहेगी कि भाई जरा थमो, देखकर जाओ, मिश्रा परिवार हमारे लिए कोई नया नहीं है. 3 सीजन पहले भी आ चुके हैं और इस बार भी ये परिवार दिल जीत लेता है, परिवार का बेटा जब बड़ा होता है तो वो क्या कुछ गलतियां कर सकता है और उसे किस तरह से डील किया जा सकता है. इस कहानी को बड़े सधे हुए तरीके से दिखाया गया है मिडिल क्लास परिवार में बड़ा होना कैसा होता है. आप ये सीरीज देखकर जरूर रिलेट करेंगे अगर आप मिडिल क्लास फैमिली में बड़े हुए हैं तो, आप इस सीरीज को एक बार देखना शुरू करेंगे. तो पूरी देखकर ही उठेंगे और फिर लगेगा कि अरे खत्म हो गई, यार अभी तो शुरू हुई थी. इतना मजा आ रहा था, ये सीरीज आपके दिल को छूती है,बहुत कुछ सिखाती है, पढ़ाती है और इस अंदाज में कि बाद सीधे दिल में उतरती है.

एक्टिंग
मिश्रा परिवार तो अपना है तो इनकी एक्टिंग को क्या ही रिव्यू करना. मिश्रा जी यानि अपने जमील खान कमाल के एक्टर हैं और यहां एक पिता के गुस्से को, उसकी मजबूरी को वो कमाल तरीके से पेश करते हैं. आपको उनमें अपने पापा नजर आ जाएंगे. मिश्रा जी की पत्नी शांति मिश्रा यानि गीतांजलि कुलकर्णी की एक्टिंग इतनी परफेक्ट है कि आपको उनमें अपनी मम्मी की झलक ना दिखे ऐसा हो नहीं सकता,  उनका काम कमाल का है. बड़े बेटे अन्नू यानि वैभव राज गुप्ता का काम कमाल है, नौकरी का प्रेशर, बॉस की डांट और परिवार की तरफ से कुछ करने का प्रेशर, वैभव ने कमाल तरीके से ये किरदार निभाया है. अमन मिश्रा यानि हर्ष मयर पर दारोमदार ज्यादा था इस बार, कहानी उन्हीं के इर्द गिर्द घूमती है ना, और उन्हें देखकर आपको अपनी जवानी के दिन जरूर याद आएंगे. उनका काम परफेक्ट है. बिट्टू की मम्मी यानि सुनीता राजवर ने फिर से दिल जीत लिया. वो ना हों तो गुल्लक की खनक में वो बात ना लगे जो लगती है.आपको अपने आस पड़ोस की कई मम्मियां याद आ जाएंगी उन्हें देखकर.

डायेरक्शन और राइटिंग
टीवीएफ की हर सीरीज का सबसे बड़ा हीरो इनकी राइटिंग और डायरेक्शन होता है. यहां भी हीरो वही हैं, इस बार दोनों नए हैं, लिखा विदित त्रिपाठी ने है और डायरेक्ट किया है श्रेयांश पांडे ने. श्रेयांश ही इस सीजन के क्रिएटर है और उन्होंने कमाल का काम किया है. उन्हें अच्छे से पता है कि दर्शक की नब्ज को किस तरह से छूना है और कहां कितना छूना है. एक एक सीन पर उनकी पकड़ नजर आती है, कहानी को कहने का अंदाज जबरदस्त है, ऐसा लगा ही नहीं कि गुल्लक के पुराने सीजन से ये सीजन कहीं फीका पड़ा. उन्होंने फिर से दिखा दिया कि अच्छी कहानियां कहने के लिए कहानी होनी चाहिए, बड़ा बजट नहीं, महंगे कपड़े नहीं, बड़े सुपरस्टार नहीं.

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Source link: ABP News

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