वीर सपूतों ने लड़ी, कारगिल की वो जंग।
देश की रक्षा हेतु, किया जीवन को तंग।।
हिमालय की गोद में, वीरों का बलिदान।
कारगिल की उस जमीं पर, लिखा वीरता गान।।
सीमा पर जो डटे रहे, सच्चे वीर जवान।
मातृभूमि के वास्ते, त्यागे सुख अरमान।।
दुश्मन को जो हर कदम, दी कड़ी चुनौती।
उन जवानों की जय हो, उनकी सच्ची मोती।।
बर्फीली चोटियों पर, दिखा दिया दमखम।
भारत माता के लिए, दिया जीवन भर दम।।
कारगिल के रणधीर, बन गए अमर सपूत।
उनका बलिदान हमें, देता है सदा रूचि।।
तिरंगे की शान को, रखा हमेशा ऊंचा।
उन वीरों के नाम पर, सिर झुके ना दूजा।।
हर सैनिक की गाथा में, छुपी है वीर कहानी।
कारगिल की जंग में, जीत की यही निशानी।।
सीमा की रक्षा हेतु, दिन रात जो जागे।
उन वीरों की याद में, दीप हमने जलाए।।
कारगिल के वीरों को, सदा याद करें हम।
उनका बलिदान हमें, करता है गर्वतम।।
वीरों ने जब ठानी थी, हर हाल में जीतेंगे।
कारगिल की उस जंग में, दुश्मन को हराएंगे।।
तिरंगा लहराता है, उनके बलिदान से।
कारगिल की जमीं गूंजे, उनके जयकार से।।
हर एक जवान का बलिदान, हमें है प्रेरित करता।
देशभक्ति के रंग में, हर दिल को रंग देता।।
हिमालय की ऊंचाई पर, जवानों ने लड़ी जंग।
उनके साहस के आगे, झुका दुश्मन का अंग।।
देश की खातिर जो जिए, वीर वो महान।
कारगिल की धरती पर, लिखा जिनका गान।।
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