शरीर में कोलेस्ट्रॉल बढ़ने से सीने में दर्द, दबाव, चक्कर आना, पैरों में गंभीर दर्द, पैर में सूजन जैसी समस्या हो सकती है. इसलिए शरीर में जैसे ही कोलेस्ट्रॉल बढ़े वक्त रहते इसका इलाज बेहद जरूरी है. जिसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए.
जब शरीर में हाई कोलेस्ट्रॉल होता है तो मल में भी इसके लक्षण दिखाई देते हैं. हर व्यक्ति के मल में 150 मिलीग्राम कोलेस्ट्रॉल होता है लेकिन जब शरीर में हाई कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है तो इसकी मात्रा बढ़ जाती है.
हाई कोलेस्ट्रॉल बढने पर आंत में ब्लड सर्कुलेशन काफी ज्यादा प्रभावित होता है. जिसके कारण मल से खून भी आ सकता है . बार-बार और जोर लगाकार मल त्यागना इसके संकेत हो सकते हैं.
मल में कोलेस्ट्रॉल बढने पर कई तरह की बीमारी हो सकती है जैसे- लिवर की बीमारी, सीलिएक रोग, अग्नाशय रोग, क्रोहन रोग, सिस्टिक फाइब्रोसिस, आंत्रशोथ, या छोटी आंत में बैक्टीरिया का अतिवृद्धि.
लिपिड पैनल रक्त परीक्षण उच्च कोलेस्ट्रॉल का निदान कर सकता है। सी.डी.सी. निम्नलिखित कोलेस्ट्रॉल स्तरों की अनुशंसा करता है: एल.डी.एल. कोलेस्ट्रॉल: 100 मि.ग्रा./डी.एल. से कम एचडीएल कोलेस्ट्रॉल: 40 मि.ग्रा./डी.एल. या उससे अधिक ट्राइग्लिसराइड्स: 150 मि.ग्रा./डी.एल. से कम
Published at : 04 Oct 2024 07:21 PM (IST)