अविश्वास प्रस्ताव भारतीय लोकतंत्र का एक महत्वपूर्ण संवैधानिक उपकरण है, जिसका इस्तेमाल संसद में सरकार या किसी अन्य उच्च पदस्थ व्यक्ति के खिलाफ किया जा सकता है. यह प्रस्ताव जब लाया जाता है, तो इसका उद्देश्य किसी नेता या सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठाना और संसद में बहुमत से उस पर असंतोष व्यक्त करना होता है. आइए जानते हैं अविश्वास प्रस्ताव क्या है, और इसे कब और किसके खिलाफ लाया जा सकता है.
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क्या होता है अविश्वास प्रस्ताव?
अविश्वास प्रस्ताव (No Certainty Movement) एक प्रकार का प्रस्ताव होता है, जिसे संसद के किसी सदस्य द्वारा सरकार के खिलाफ उठाया जा सकता है. जब यह प्रस्ताव प्रस्तुत किया जाता है, तो इसका उद्देश्य यह दिखाना होता है कि सरकार के पास अब बहुमत नहीं है और उसे पद से हटाया जाना चाहिए. यदि संसद के सदस्य इस प्रस्ताव के पक्ष में मतदान करते हैं और सरकार का बहुमत समाप्त हो जाता है, तो सरकार को त्याग पत्र देना पड़ता है या उसे सत्ता छोड़नी पड़ती है. यह संसद में सरकार या किसी अन्य उच्च पदस्थ व्यक्ति की जवाबदेही तय करने का एक शक्तिशाली तरीका है.
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किसके खिलाफ लाया जा सकता है अविश्वास प्रस्ताव?
सासंद में मौजूद कई सदस्यों के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है, जिसमें सबसे महत्वपूर्ण प्रधानमंत्री का पद होता है. यदि विपक्षी दलों का मानना है कि प्रधानमंत्री और उसकी सरकार अपनी जिम्मेदारी सही ढंग से नहीं निभा रही है, तो वे अविश्वास प्रस्ताव लाकर सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठा सकते हैं. इसके अलावा केंद्रीय मंत्रियों के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है. इसके अलावा स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव, केंद्रीय मंत्रियों के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव, स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव और राज्य सरकारों के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है.
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