भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस समय रूस के दौरे पर ब्रिक्स सम्मेलन में भाग लेने गए हैं. यही वजह है कि देश में लोग रूस से जुड़ी हर बात जानना चाहते हैं. चलिए आज आपको रूस की उन जातियों के बारे में बताते हैं, जिनका प्रभुत्व सबसे ज्यादा है. दरअसल, भारत और रूस, दोनों ही विशाल देश हैं. दोनों ही देशों में अलग-अलग जातियां और संस्कृतियां हैं. भारत की जातीय व्यवस्था के बारे में तो जानते हैं, लेकिन क्या आप रूस की जातीय व्यवस्था के बारे में जानते हैं. चलिए इसके बारे में जानते हैं.
रूस में जातियां
रूस एक बहु-जातीय देश है, जिसमें लगभग 190 जातियां हैं. हालांकि, इन 190 जातियों में से मुख्य जातियों की बात करें तो ये रूसी, तातार, बाशकिर, चेचन, चुवाश और अन्य हैं. रूसी की बात करें तो यह देश की सबसे बड़ी जाति है. रूस की कुल जनसंख्या में ये लगभग 80 फीसदी हैं. इस समुदाय की भाषा, संस्कृति और परंपराएं ही रूस की पहचान का मुख्य हिस्सा हैं.
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तातार की बात करें तो ये रूस की दूसरी सबसे बड़ी जाति है. ये जाति रूस के तातारस्तान क्षेत्र में बसती है. इनकी भाषा तातार है. बाशकिर की बात करें तो ये रूस के बाशकोर्तोस्तान क्षेत्र में बसने वाली एक जाति है. वहीं चेचन जाति, उत्तर काकेशस क्षेत्र में बसती है. चुवाश जाति की बात करें तो ये वोल्गा क्षेत्र में बसती है. हालांकि, भारत रूस की जाति व्यवस्था भारत की तरह नहीं है. बल्कि, ये कबीले की तरह है. सदियों पहले यहां अलग-अलग क्षेत्र में अलग-अलग कबीले हुआ करते थे और इन कबीले
रूस में 100 से ज्यादा भाषाएं
रूस में 100 से ज्यादा भाषाएं बोली जाती हैं. हालांकि, रूसी भाषा ही यहां कि आधिकारिक भाषा है. लेकिन अलग-अलग जातियां अलग-अलग क्षेत्र में अपनी भाषाओं का ही उपयोग करती हैं. भारत में भी ऐसा देखने को मिलता है, लेकिन ये जाति के आधार पर तय नहीं होता. भारत में भाषा राज्य के आधार पर तय होता है.
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