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Why Narendra Modi BJP Government Wants To Change In Waqf Board Act Amendment Know

Waqf Board Amendment Bill: सरकार वक्फ बोर्ड को नियंत्रित करने वाले 1995 के कानून में संशोधन करने के लिए संसद में एक विधेयक लाने वाली है ताकि इनके कामकाज में अधिक जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित हो सके. साथ ही इन निकायों में महिलाओं की अनिवार्य भागीदारी हो सके.

सूत्रों ने दावा किया कि यह कदम मुस्लिम समुदाय के भीतर से उठ रही मांगों की पृष्ठभूमि में उठाया गया है. वक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधन करने वाला विधेयक वक्फ बोर्ड के लिए अपनी संपत्तियों का वास्तविक मूल्यांकन सुनिश्चित करने को लेकर जिलाधिकारियों के पास पंजीकरण कराना अनिवार्य कर देगा. देश में 30 वक्फ बोर्ड हैं. सूत्रों ने रविवार को बताया कि सभी वक्फ संपत्तियों से हर साल 200 करोड़ रुपये का राजस्व आने का अनुमान है. उन्होंने कहा कि यह वक्फ के पास मौजूद संपत्तियों की संख्या के अनुरूप नहीं है.

वक्फ बोर्ड के पास कितनी संपत्ति?

मूल रूप से, पूरे भारत में वक्फ बोर्ड के पास करीब 52,000 संपत्तियां हैं. 2009 तक चार लाख एकड़ भूमि पर 3,00,000 पंजीकृत वक्फ संपत्तियां थीं और आज की तारीख में, आठ लाख एकड़ से अधिक भूमि पर 8,72,292 ऐसी संपत्तियां हैं. वक्फ से अर्जित राजस्व का उल्लेख करते हुए सूत्रों ने रेखांकित किया कि इस धन का उपयोग केवल मुस्लिम समुदाय के कल्याण के लिए किया जा सकता है, किसी अन्य उद्देश्य के लिए नहीं.

40 से ज्यादा बदलावों के साथ बिल

मौजूदा कानून में 40 से अधिक बदलावों वाला संशोधन विधेयक मौजूदा संसद सत्र में लाया जा सकता है. सूत्रों ने बताया कि सरकार की योजना विधेयक को संसद में पेश किए जाने के बाद लंबित छोड़ने की नहीं है. कानून में प्रस्तावित प्रमुख बदलावों में बोर्ड की ओर से किसी भूमि को वक्फ संपत्ति घोषित करने से पहले उसका सत्यापन सुनिश्चित करना शामिल है.

प्रस्तावित विधेयक के अनुसार, विभिन्न राज्य बोर्ड की ओर से दावा की गई विवादित भूमि का नए सिरे से सत्यापन भी किया जाएगा. वक्फ बोर्ड की संरचना के संबंध में किए गए बदलावों से इन निकायों में महिलाओं को शामिल करना सुनिश्चित होगा.

क्यों किया जा रहा संशोधन?

सूत्रों ने कानून में संशोधन के लिए जस्टिस सच्चर आयोग और के. रहमान खान की अध्यक्षता वाली संसद की संयुक्त समिति की सिफारिशों का हवाला दिया. सरकार के फैसले से अवगत एक सूत्र ने कहा, ‘‘समुदाय के भीतर से पारदर्शिता और जवाबदेही लाने के लिए कानून में संशोधन की मांग की गई है. हाई कोर्ट के कुछ मुस्लिम जजों ने कहा था कि वक्फ बोर्ड के लिए गए फैसले को अदालतों में चुनौती नहीं दी जा सकती. अब संशोधन विधेयक इसे सही करने का प्रयास करता है.’’

कानून में संशोधन के कदम पर प्रतिक्रिया देते हुए भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वरिष्ठ नेता दिनेश शर्मा ने कहा कि बोहरा और मुस्लिम समुदाय के अन्य सदस्यों ने वक्फ बोर्ड की विसंगतियों का मुद्दा उठाया है. उन्होंने दावा किया कि इसके पीछे मुख्य कारण यह है कि अल्पसंख्यकों को लाभ पहुंचाने के लिए बनाए गए वक्फ बोर्ड के अन्य कार्यों में शामिल होने की शिकायतें मिली हैं.

संशोधन को लेकर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं

‘ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड’ के प्रवक्ता एस क्यू आर इलियास ने कहा, ‘‘बीजेपी सरकार हमेशा ऐसा करना चाहती थी. 2024 (लोकसभा) चुनाव संपन्न होने के बाद, हमने सोचा था कि बीजेपी के रवैये में बदलाव आएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. हालांकि, मुझे लगता है कि यह सही कदम नहीं है.’’ वकील रईस अहमद ने कहा कि यह एक ‘‘गलत धारणा’’ है कि वक्फ बोर्ड किसी भी संपत्ति पर दावा कर सकता है. उन्होंने कानून में संशोधन के कदम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि वक्फ बोर्ड मुसलमानों के लाभ के लिए बनाया गया था.

प्रस्तावित संशोधनों को लेकर निशाना साधते हुए ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, ‘‘बीजेपी शुरू से ही वक्फ बोर्ड और वक्फ संपत्तियों के खिलाफ रही है और उसने अपने हिंदुत्व एजेंडे के तहत वक्फ संपत्तियों तथा वक्फ बोर्ड को खत्म करने का प्रयास शुरू किया है.’’

बीजेपी नेता अजय आलोक ने कहा, ‘‘वक्फ बोर्ड में सुधार की मांग कोई नयी बात नहीं है, यह पिछले 30-40 साल से चल रही है. जो लोग यह मांग उठा रहे हैं और इससे प्रभावित हैं, वे खुद मुसलमान हैं. वक्फ बोर्ड में सुधार की जरूरत है और मुझे उम्मीद है कि जब भी यह विधेयक पेश किया जाएगा, समाजवादी पार्टी, कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस इसका समर्थन करेंगी.’’

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Source link: ABP News

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