पुणे के एक ही परिवार के दो लोगों पिता और बेटी को जीका वायरस इंफेक्शन होने की खबर आ रही है. यह खबर सामने आते ही स्वास्थ्य विभाग अलर्ट हो गया है. अधिकारी ने बताया कि इसी परिवार के पांच लोगों को ब्लड टेस्ट लिया किया गया था. जिसमें पिता और बेटी की रिपोर्ट जीका पॉजिटिव आई है.
महाराष्ट्र के पुणे शहर में 46 साल के डॉक्टर और उनकी बेटी में जीका वायरस संक्रमण की पुष्टि हुई है. लेकिन उनकी स्वास्थ्य स्थिति फिलहाल स्थिर है. हाल ही में इस व्यक्ति को बुखार के साथ-साथ शरीर पर चकत्ते दिखाई दिए थे. जिसके बाद उसे एक प्राइवेट हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया. चिकित्सा सुविधा ने उनके ब्लड के नमूने लिए और उसे शहर के ‘राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान’ (एनआईवी) में जांच के लिए भेजे.
एक ही घर के दो लोग
पुणे नगर निगम (पीएमसी) के एक स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि 21 जून को उसकी रिपोर्ट में पुष्टि हुई कि वह जीका वायरस पॉजिटिव हैं. उन्होंने डॉक्टर को बताया शहर के एरंडवाने इलाके का निवासी है. अधिकारी ने बताया जब पिता में जीका वायरस इंफेक्शन का पता चला तो उनके परिवार के पांच सदस्यों के ब्लड के नमूने लिए गए और उन्हें जांच के लिए भेजे गए.
जिसमें पाया गया कि उनकी 15 साल की बेटी भी जीका पॉजिटिव थी. जीका वायरस रोग एक संक्रमित एडीज मच्छर के काटने से फैलता है. जो डेंगू और चिकनगुनिया जैसे संक्रमणों को फैलाने के लिए भी जाना जाता है. इस वायरस की पहचान सबसे पहले 1947 में युगांडा में हुई थी.
पीएमसी के स्वास्थ्य विभाग
अधिकारी ने बताया कि शहर में इन दो मामलों के सामने आने के बाद, पीएमसी के स्वास्थ्य विभाग ने निगरानी शुरू कर दी है. उन्होंने बताया कि हालांकि क्षेत्र में कोई अन्य संदिग्ध मामला नहीं पाया गया है. लेकिन अधिकारियों ने मच्छरों के प्रजनन को रोकने के लिए फॉगिंग और फ्यूमिगेशन जैसे एहतियाती कदम उठाने शुरू कर दिए हैं.
जीका वायरस के लक्षण बेहद आम हैं. इनमें शरीर पर लाल चकत्ते पड़ना, बुखार आना, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द और सिर में दर्द शामिल है. जीका वायरस से संक्रमित ज्यादातर लोगों में इसके लक्षण नहीं मिलते हैं.
जीका वायरस के संक्रमण के बाद मस्तिष्क में फैल जाता है और माइक्रोसेफली नामक गंभीर समस्या की वजह बनता है. ये वायरस ज्यादातर बच्चों में फैलता है. उन्होंने चेतावनी दी कि ऐसे बच्चों का दिमाग कमजोर होगा और इस तरह उनके ऑटिज्म रोग से पीड़ित होने की आशंका रहती है.गौरतलब है कि जीका वायरस से संक्रमित लोगों को कोई विशेष उपचार या टीके नहीं दिए जाते हैं. जिला चिकित्सा अधिकारी ने कहा है कि मच्छरों से खुद को बचाना ही सबसे अच्छा उपाय है.
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