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sudha murthy advocates for cervical cancer in rajya sabha speech know about full details

Sudha Murthy On Cervical Cancer: सुधा मूर्ति ने संसद में अपने भाषण के दौरान महिलाओं में होने वाले सर्वाइकल कैंसर के मुद्दों पर जोर दिया. सुधा मूर्ति के भाषण का वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है. सोशल मीडिया पर लोग उनके भाषण की खूब तारीफ कर रहे हैं. 

9-14 साल की बच्चियों को वैक्सीन लगवाने की व्यवस्था की जानी चाहिए

सुधा मूर्ति ने अपने भाषण में कहा कि महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर की जानलेवा बीमारी तेजी से बढ़ रही है. इससे बचावे के लिए यंग एज ग्रुप में ही लड़कियों को सर्वाइकल कैंसर के वैक्सीन लगना चाहिए. 9-14 साल की बच्चियों को वैक्सीन लगाने की व्यवस्था की जानी चाहिए. हमारी सामाजिक व्यवस्था ऐसी है जिसमें महिलाएं अपनी स्वास्थ्य पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं देती हैं.जब तक महिलाओं को बीमारी का पता चलता है वह कैंसर के चौथे स्टेज पर होता है. ऐसी स्थिति में उन्हें बचाना बेहद मुश्किल हो जाता है. 

 

सुधा मूर्ति ने अपने भाषण में क्या कहा?

सुधा मूर्ति कहती हैं कि मेरे पिता कहते थे कि महिलाएं परिवार का केंद्र होती है. एक महिला पत्नी, बहू, मां होती है. पत्नी की मृत्यु के बाद पति अपने लिए दूसरी पत्नी ले आता है लेकिन बच्चों के दूसरी मां कभी नहीं मिलती. सुधा मूर्ति कहती हैं कि कोविड महामारी के दौरान कोरोना से बचने के लिए टीकाकरण का अभियान चलाया गया तो महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर से बचने के लिए अभियान क्यों नहीं चलाया गया. अगर सरकार यह अभियान शुरू करती है तो यह महंगा भी नहीं पड़ेगा. 

सर्वाइकल कैंसर के लक्षण

सर्वाइकल कैंसर के शुरुआती लक्षणों की बात करें तो इसमें महिलाओं के पीरियड्स में गड़बड़ी होती है. इसके बाद महिलाओं के मेनोपॉज और वजाइनल ब्लीडिंग होती है. इन सब के अलावा वजाइनल डिस्चार्ज की शिकायत भी होती है. 

सर्वाइकल कैंसर की पहचान अगर फर्स्ट स्टेज में ही हो जाए को 100 में से 95 से ज्यादा महिलाओं की जान बचाई जा सकती है. इसके थर्ड स्टेज में पहुंचने पर 100 में से 50 महिलाएं ठीक हो जाती है लेकिन अगर इस अंग से कैंसर दूसरे अंग में पहुंच जाए तो फिर बचाना बेहद मुश्किल हो जाता है. 

 HPV टेस्ट पॉजिटिव आना यानी सर्वाइकल कैंसर हो गया है?

एचपीवी टेस्ट पॉजिटिव आने के बाद आगे के टेस्ट जरूरी हो जाते हैं, जिससे कैंसर से पहले होने वाली गांठों की पहचान की जा सके. इसलिए एक से दो साल में एचपीवी टेस्ट कराते रहना चाहिए. 95% से ज्यादा महिलाओं में इम्यून सिस्टम हाई रिस्क वाले एचपीवी इंफेक्शन को अपने आप खत्म कर देती है, लेकिन हाई रिस्क वाली गांठें बनी रहे, तो कोल्पोस्कोपी टूल की मदद से सर्विक्स की जांच होती है. जांच में कैंसर से पहले होने वाली कोई गांठ नजर आती है तो तुरंत इलाज करवाना चाहिए.

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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Source link: ABP News

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