Growing tomato ladyfinger cucumber and bitter gourd in July gives good profits

Agriculture News: जून का महीना चल रहा है. भीषण गर्मी के बाद आखिरकार बारिश ने दस्तक दे ही दी. लंबे के इंतजार के बाद आखिरकार मानसून किसानों के लिए फायदे का मौसम लेकर आया है. जून में बारिश की कमी की वजह से कई किसानों ने अपने खेत में कोई फसल नहीं लगाई, लेकिन अब, जब बारिश शुरु हो चुकी है तो किसान खेतों की तैयारी के साथ फसलों की बुवाई का काम शुरु कर सकते हैं.

जून के अंत और जुलाई के शुरुआती समय में ज्यादातर कृषि विशेषज्ञ खरीफ सीजन की प्रमुख सब्जियों की खेती करने की सलाह देते हैं. ये सब्जियां खीरा, ककड़ी, लोबिया, करेला, लौकी, तुरई, पेठा, भिंडी, टमाटर, चौलाई और मूली हैं, जो कम समय किसानों को बेहतर उत्पादन लेने में मदद करती हैं.

खीरा 

Cucumber (Kheera) Hybrid Seeds (Kakdi/ककड़ी/खीरा के बीज)

खीरा की खेती से बेहतर उत्पादन लेने के लिये सूरज की रौशनी के साथ भरपूर पानी की जरूरत होती. इसकी खेती करके किसानों को अच्छी कमाई हो सकती है, इसलिये इसकी उन्नत किस्मों से ही बुवाई करें. खीरा की प्रमुख किस्मों में स्वर्ण अगेती, स्वर्ण पूर्णिमा, पूसा उदय,पूसा संयोग, पूसा बरखा आदि प्रमुख हैं, किसान चाहें तो इसकी विदेशी हाइब्रिड किस्में उगाकर अच्छा लाभ कमा सकते हैं.

चौलाई

चौलाई खरीफ सीजन की एक प्रमुख नकदी फसल है, जिसे गर्मी और बारिश दोनों मौसम में उगाने पर  अच्छा उत्पादन मिल सकता है. चौलाई एक औषधीय फसल भी है, जिसकी जड़ से लेकर तना, पत्ती और डंठल का प्रयोग दवाएं बनाने में भी किया जाता है. इसलिये चौलाई की उन्नत और अच्छी पैदावार देने वाली किस्मों से ही बुवाई करनी चाहिये. जिसमें छोटी चौलाई, बड़ी चौलाई, अन्नपूर्णा, सुवर्णा, कपिलासा, आर एम ए 4, पूसा लाल, गुजरती अमरन्थ 2 प्रमुख किस्में हैं.

भिंडी

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वैसे तो हर प्रकार की मिट्टी में भिंडी की खेती कर सकते हैं, लेकिन बारिश के मौसम (Rain Based Farming)  में जल निकासी वाली मिट्टी रेतीली और चिकनी मिट्टी में इसकी अच्छी उपज मिल जाती है. किसान चाहें तो बाजार मांग के हिसाब से लाल भिंडी (Red Ladyfinger) की खेती भी कर सकते हैं. इसकी कटाई के फलों को अधपका ही तोड़ लेना चाहिये. इसकी फसल से अच्छा उत्पादन लेने के लिये पूसा मखमली, पूसा ए-4, पूसा सावनी,  वर्षा उपहार, अर्का अभय, परभनी क्रांति,  वी.आर.ओ.-6, हिसार उन्नत आदि प्रमुख किस्में हैं.

टमाटर 

पिछले दिनों बढ़ती गर्मी के कारण बड़े पैमाने पर टमाटर की फसल खराब हो गई, जिसके कारण बाजार में टमाटर के भाव 80 रुपये किलो जा पहुंचे हैं. बाजार में टमाटर की बढ़ती कीमतों के बीच पॉलीहाउस में टमाटर की खेती फायदे का सौदा साबित हो सकती है. इसके लिये टमाटर की देसी किस्मों में पूसा-120, पूसा रूबी, पूसा गौरव, अर्का विकास,  पूसा शीतल, अर्का सौरभ, सोनाली और हाइब्रिड किस्मों में रश्मि और अविनाश-2. पूसा हाइब्रिड-1, पूसा हाइब्रिड-2, पूसा हाइब्रिड-4 आदि अच्छा उत्पादन देने वाली किस्में हैं.

करेला

भारत में करेले की खपत सब्जी और औषधि के रूप में होती है. बारिश के समय अच्छी जल निकासी वाली दोमट मिट्टी में इसकी खेती करना लाभकारी होता है. एक एकड़ जमीन पर करेले की खेती के लिये 500 ग्राम बीज काफी रहती है, लेकिन पौधशाला तैयार करके रोपाई करने पर कम बीजों की जरूरत पड़ती है. करेला की प्रमुख किस्मों में पूसा विशेष, पूसा हाइब्रिड 1, पूसा हाइब्रिड 2, अर्का हरित, पंजाब करेला 1 को ज्यादा पैदावार किस्में कहते हैं.

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Source link: ABP News

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