<p style="text-align: justify;">हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी लगातार तीसरी बार सरकार बनाने की दिशा में आगे बढ़ रही है. बीजेपी का चुनाव अभियान गति पकड़ रहा है और कांग्रेस का कैंपेन हल्के उभार के बाद पिछले 8-10 दिन में ढीला पड़ा है. कुमारी शैलजा ने सार्वजनिक रुप से अपनी नाराजगी व्यक्त की. साफ़ दिखता है कि कांग्रेस पार्टी में उनकी उपेक्षा हुई और टिकट वितरण में शैलजा को तरजीह नहीं दी गई. टिकट बांटने में भूपेन्द्र सिंह हुड्डा का खेमा बाजी मार गया.</p>
<p style="text-align: justify;">इसके बाद हमने देखा कि कांग्रेस के दूसरे खेमे की जनसभा में कुमारी शैलजा को लेकर जातिसूचक शब्द कहते हुए वीडियो वायरल हो गया. इन सभी बातों से शैलजा खुद भी खिन्न महसूस कर रही थी. उन्होंने कई दिन पार्टी के प्रचार अभियान से दूरी बनाए रखी. इस माहौल में अन्य राजनीतिक दलों ने भी कहा कि जो कांग्रेस पार्टी अपनी अनुसूचित जाति की इतनी बड़ी नेत्री का सम्मान नहीं कर सकती है, उस कांग्रेस पार्टी में उनको नहीं रहना चाहिए.</p>
<p style="text-align: justify;"><span style="color: #e03e2d;"><strong>शैलजा का अपमान</strong></span></p>
<p style="text-align: justify;">हमारी पार्टी के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की तरफ से इसी संदर्भ में स्पष्ट तौर पर कहा गया कि अगर कुमारी शैलजा कांग्रेस में अपने निरादर से परेशान होकर भारतीय जनता पार्टी का दामन थामना चाहे तो उनका भाजपा में स्वागत है . इस तरह का ऑफर न सिर्फ शैलजा को बीजेपी ने दिया, बल्कि बीएसपी के साथ ही अपने आपको दलितों का हितैषी कहने वाली एक अन्य पार्टी के नेता चंद्रशेखर रावण ने भी कुमारी सैलजा की स्थिति पर चिंता जतायी.</p>
<p style="text-align: justify;">इस पूरे प्रकरण में कांग्रेस पार्टी को भारी नुकसान हुआ है. कांग्रेस पार्टी की लीडरशिप को, ख़ुद खड़गे और भूपेन्द्र सिंह हुड्डा को सामने आकर एक तरह से कुमारी शैलजा के राजनैतिक जख्मों पर अपने अपने अंदाज़ में मरहम लगाना पड़ा. तब जाकर कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव चुनाव प्रचार के मोर्चे पर नज़र आना शुरू हुई.</p>
<p style="text-align: justify;">इस प्रक्रिया में कांग्रेस को जो नुक़सान भी शैलजा ने किया उसकी भरपाई वे स्वयं भी नहीं कर पाएंगी. इधर, भारतीय जनता पार्टी का कैंपेन बहुत ही व्यवस्थित तरीके से शनै: शनै: ऊपर की तरफ जाता हुआ महसूस किया जा सकता है.</p>
<p style="text-align: justify;"><span style="color: #e03e2d;"><strong>समर्थकों में करंट</strong></span></p>
<p style="text-align: justify;">हरियाणा में जहाँ पर भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की रैली हो रही है, वहां आसपास की विधानसभाओं में एक नया करंट भाजपा समर्थकों में गया है. पीएम मोदी जहां पर भी गए, वहां पर हरियाणा के पिछड़े वर्गों और अनुसूचित जातियों के मनों को उन्होंने कायदे से छुआ और भाजपा के साथ उन्हें जोड़ते जा रहे हैं.</p>
<p style="text-align: justify;">कांग्रेस का जो अनुसूचित जाति और पिछड़ा वर्ग विरोधी चेहरा है, वो उजागर हुआ है. मसलन, पीएम मोदी ने कहा कि कांग्रेस पार्टी की तीन पीढ़ियां लगातार पंडित नेहरू से लेकर राजीव गांधी तक, बैकवर्ड क्लास के रिजर्वेशन का खुलकर विरोध करती रही. पीएम मोदी ने पंडित नेहरू की एक चिट्ठी का जिक्र किया, राजीव गांधी के संसद में दिए भाषण का जिक्र किया. इंदिरा गांधी के रवैये का भी उन्होंने जिक्र किया.</p>
<p style="text-align: justify;">हम कुल मिलाकर ये संदेश हरियाणा में भेजने में कामयाब रहे कि कांग्रेस पार्टी, जो डॉक्टर भीमराव अंबे़डकर का निरादर करने के लिए जानी जाती है, दलित विरोधी तो है ही वो बैकवर्ड की भी विरोधी है. उसकी तुलना में भारतीय जनता पार्टी ने हरियाणा में एक बड़ा काम ये किया है कि पहली बार पिछड़े वर्ग से संबंध रखने वाले अपने कार्यकर्ता नायब सिंह सैनी को बीजेपी ने मुख्यमंत्री बनाया और ये तय किया कि तीसरी बार जब सरकार बनेगी तो नायब सिंह सैनी ही हरियाणा में मुख्यमंत्री होंगे. </p>
<p style="text-align: justify;"><span style="color: #e03e2d;"><strong>कांग्रेस का चेहरा उजागर</strong></span></p>
<p style="text-align: justify;">पिछड़े वर्ग के किसी कार्यकर्ता को मुख्यमंत्री बनाने का एलान बीजेपी की तरफ से किए जाने से पिछड़ी जातियों के वोट बीजेपी की तरफ शिफ्ट हो रहे हैं. पिछड़ी जातियां कई वर्षों से पीएम मोदी की समर्थक तो रही ही है, इस बार उनका वोट और अधिक एकजुटता के साथ भाजपा को मिलेगा। इसके साथ ही, कांग्रेस ने जो लोकसभा चुनाव में संविधान पर हमला होने का नैरेटिव लोकसभा चुनाव में खडा़ किया था, उसे बीजेपी काफी हद तक हरियाणा चुनाव में तोड़ पाएगी. अनुसूचित जातियों के कुछ वोट बीजेपी से खिसक कर कांग्रेस के भ्रामक प्रचार के कारण वहां शिफ्ट हो गए थे, उसमें से बड़ा हिस्सा बीजेपी अपने पाले में कर पाएगी.</p>
<p style="text-align: justify;">हरियाणा में चूंकि बीएसपी भी मैदान में हैं. इनेलो के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही है. कुछेक सीटों पर उनकी उपस्थिति भी ठीक ठाक है. जो अनुसूचित जाति के वोट लोकसभा चुनाव में एकतरफ़ा कांग्रेस को पड़ गई थी विधानसभा चुनाव में हैं इनमें से कुछ बहुजन समाज पार्टी के पास वापस लौट सकती है. यह भी सीधे तौर पर कांग्रेस का नुक़सान है. इन सारे कारणों के चलते हरियाणा में एक बार बीजेपी की सरकार बनती दिखाई दे रही है. </p>
<p style="text-align: justify;"><span style="color: #e03e2d;"><strong>मुद्दा मेरिट का</strong></span></p>
<p style="text-align: justify;">जब हम सरकार में नहीं थे, हरियाणा में सरकारी नौकरियां एक तरह से बिका करती थी. जो बच जाती है वे इलाकावाद और जातिवाद की भेंट चढ़ जाती. कांग्रेस हो या इंडियन नेशनल लोकदल दोनों ने जमकर मेरिट की हत्या की. यह बात किसी से छिपी हुई नहीं है कि इंडियन नेशनल लोकदल की टॉप लीडरशिप अलमारी तोड़कर मेरिट लिस्ट बदलने के अपराध में जेल गई.</p>
<p style="text-align: justify;">लेकिन, जब बीजेपी सत्ता में आयी तो हमने तय किया कि सरकारी नौकरियों की नियुक्ति प्रक्रिया के प्रति जो अविश्वास हरियाणा की नई पीढ़ी के लोगों के मन में है, जिसे पूर्ववर्ती कांग्रेस और इंडियन नेशनल लोकदल ने पैदा किया है, उसे हम समाप्त करेंगे. नियुक्ति प्रक्रिया में विश्वास हम बहाल करेंगे. और बीजेपी सरकार ने पारदर्शिता के साथ,बिना खर्ची पर्ची और मेरिट के आधार पर क़रीब डेढ़ लाख पक्की सरकारी नौकरी देकर यह काम करके दिखा दिया.</p>
<p style="text-align: justify;">विधानसभा चुनाव में अब हम अपनी यह विशेषता गिनवा रहे हैं तो कांग्रेस ने हमारी इस मुद्दे को जाने अनजाने में और मज़बूती प्रदान कर दी है. उनके असंध और फ़रीदाबाद के विधायकों सहित कई नेताओं के बयान वायरल हुए हैं. कांग्रेस के उम्मीदवार कह रहे हैं कि उनकी सरकार बनी तो नौकरियां अपनों को बाँटेंगे, पहले रिश्तेदारों और अपनों के घर भरेंगे . यह एक प्रकार से हरियाणा को लूटने का खुला ऐलान है.हरियाणा के अधिकांश लोग इस तरह की सोच के विरुद्ध हैं और इसलिए वे भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में मतदान करेंगे.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं.यह ज़रूरी नहीं है कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही ज़िम्मेदार है.]</strong></p>