<p>राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में पिछले कुछ सप्ताह से तेजी से बढ़ रहे हेपेटाइटिस-ए के मामलों के बीच अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIMS) के चिकित्सकों ने लोगों को दूषित भोजन और दूषित पानी के सेवन से बचने के लिए कहा है. AIMS के उदररोग विभाग के प्रोफेसर डॉ. शालीमार ने एक इंटरव्यू में बताया कि अस्पताल में हेपेटाइटिस ए के मामलों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हो रही रही है. चलिए आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं.</p>
<p><strong>एक्सपर्ट ने क्या कहा</strong></p>
<p>AIMS के डॉ. प्रमोद गर्ग ने बताया कि अधिकतर रोगी बच्चे और 18 से 25 आयु वर्ग के युवा हैं. उन्होंने बताया कि हेपेटाइटिस ए और ई मुख्य रूप से मल और दूषित पानी के माध्यम से फैलते हैं. यह स्व-सीमित संक्रमण हैं. यानी ये एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलते. वहीं इस बीमारी से पीड़ित मरीजों के इलाज के लिए किसी विशिष्ट वायरल रोधी दवा की जरूरत नहीं होती है.</p>
<p>डॉ. गर्ग ने कहा कि विभाग की ओर से किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि हेपेटाइटिस ए और ई दोनों मिलकर तेजी से लिवर खराब कर रहे हैं. लीवर के 30 प्रतिशत मामलों का कारण यही होते हैं. </p>
<p><strong>WHO ने इस पर क्या कहा</strong></p>
<p>विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, वैश्विक स्तर पर भारत समेत 10 देशों में वायरल हेपेटाइटिस बी और सी के 66 प्रतिशत मामले हैं. वहीं, भारत वायरल हेपेटाइटिस के सबसे अधिक मामलों वाले देशों में पहले स्थान पर है और दुनिया के वायरल हेपेटाइटिस के लगभग 12 फीसदी मामले यहीं हैं. WHO का लक्ष्य 2030 तक नए क्रोनिक हेपेटाइटिस संक्रमणों में 90 प्रतिशत की कमी और वायरल हेपेटाइटिस से संबंधित मौतों में 65 प्रतिशत की कमी लाना है. </p>
<p>डॉ. गर्ग ने मीडिया से बात करते हुए आगे बताया कि भारत में राष्ट्रीय वायरल हेपेटाइटिस नियंत्रण कार्यक्रम इस लक्ष्य की ओर काम कर रहा है. उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम के तहत सभी नवजात शिशुओं को जन्म के समय हेपेटाइटिस बी के लिए टीका लगाया जाता है और हेपेटाइटिस बी और सी वायरस के इलाज के लिए दवाएं फ्री में दी जाती हैं.</p>