देश में लोकसभा के चुनाव भी संपन्न हो गए और एनडीए की सरकार भी बन गई है. दरअसल, केंद्र में सरकार उसी की बनती है जिसके पास सबसे ज्यादा सांसद होते हैं. लोकसभा चुनाव 2024 में सबसे ज्यादा सांसद बीजेपी के पास थे. वहीं उसके गठबंधन एनडीए के पास बहुमत से ज्यादा कुल 293 सांसद हैं.
चलिए आपको आज इस आर्टिकल में बताते हैं कि आखिर इन सांसदों को सैलरी कितनी मिलती है. इसके अलावा ये भी बताएंगे कि राज्यसभा के सांसदों को कितनी सैलरी मिलती है. सैलरी के अलावा हम इन दोनों सदनों के सांसदों की शक्तियों के बारे में भी जानेंगे.
लोकसभा के सांसद की सैलरी और शक्तियां
एक लोकसभा सांसद को मूल वेतन एक लाख रुपये हर महीने दी जाती है. इसके अलावा सांसदों को कई तरह के भत्ते भी दिए जाते हैं. जिसमें 2000 रुपये दैनिक भत्ता, 70 हजार हर महीने निर्वाचन भत्ता, 60 हजार रुपये हर महीने कार्यालय भत्ता और टेलीफोन, आवास, पानी बिजली, पेंशन, यात्रा भत्ता जैसी सुविधाएं शामिल हैं.
वहीं लोकसभा के सांसदों की शक्तियों की बात करें तो उनके पास मुख्य रूप से तीन शक्तियां होती हैं. इनमें पहला होता है संसद में प्रस्तावित कानूनों पर मतदान करने का अधिकार, दूसरा होता है संसद में होने वाली बहस में भाग लेने का अधिकार और तीसरा होता है सरकार के कामकाज से संबंधित सवाल पूछने का अधिकार. वहीं इनके काम की बात करें तो लोकसभा के सांसदों का काम होता है कानून बनाना, सरकार पर नजर रखना, जनता की आवाज उठाना, सरकार को सलाह देना और अंतरराष्ट्रीय मामलों में भागीदारी रखना.
राज्यसभा सांसद की सैलरी कितनी होती है
राज्यसभा के सांसदों की सैलरी की बात करें तो इन्हें हर महीने 2 लाख 10 हजार रुपये मिलते हैं. इस पैसे में 20 हजार रुपये ऑफिस के खर्च के होते हैं. जबकि, मूल सैलरी की बात करें तो ये 1 लाख 90 हजार रुपये होती है. हालांकि, इसमें कई तरह के भत्ते भी शामिल होते हैं.
राज्यसभा सांसदों के अधिकार की बात करें तो लोकसभा सांसदों की तरह राज्यसभा सांसदों को भी कई तरह के अधिकार मिले हैं. जैसे- विधायी शक्तियां, संविधान संशोधन की शक्ति, कार्यपालिका सम्बन्धी शक्ति, वित्तीय शक्तियां और विविध शक्तियां शामिल हैं. वहीं राज्यसभा सांसदों को दो ऐसे विशेष अधिकार मिले हैं जो लोकसभा सांसदों को पास नहीं हैं.
इसमें पहली शक्ति संविधान के अनुच्छेद 294 के तहत दिया जाता है. दरअसल, राज्यसभा सांसदों की उपस्थित और मतदान में भाग लेने वाले सांसदों के दो-तिहाई बहुमत से राज्य सूची के किसी भी विषय को राष्ट्रीय महत्व का विषय घोषित किया जा सकता है. अगर राज्यसभा द्वारा ऐसा प्रस्ताव पास कर दिया गया तो संसद उस विषय पर कानून का निर्माण कर सकती है.
वहीं दूसरी शक्ति संविधान के अनुच्छेद 312 के अंतर्गत दिया जाता है. इसके अनुसार, राज्यसभा अपने दो-तिहाई बहुमत से प्रस्ताव पारित कर नई अखिल भारतीय सेवाएं स्थापित करने का अधिकार केन्द्रीय सरकार को दे सकती है. जबकि, लोकसभा ऐसा नहीं कर सकती. इसके अलावा राज्यसभा जब तक इस प्रकार का प्रस्ताव पारित न कर दे, तब तक संसद या भारत सरकार किन्हीं नए अखिल भारतीय सेवाओं की व्यवस्था नहीं कर सकती है.
ये भी पढ़ें: क्या मंत्री बनने के बाद सांसद को ज्यादा सैलरी मिलती है, जिम्मेदारी मिलने से सहूलियत में क्या आता है अंतर?